शीर्षक- अबलाओं का अंत संसार में लड़कियों के आने से पहले ही अक्सर इनकी बंदी कर दी जाती हैं । अनचाही उन्हें मान कर भी,रजामंदी कर दी जाती है।। वह ना कर सके कुछ भी अपने मन की,नाही पिंजरे से उड़ सके। इसलिए ही संस्कारों के तालो से, इनकी किलेबंदी कर दी जाती हैं ।। कही स्वर उनकी भी,गूंजने के काबिल ना हो जाये। दबाने के लिए इनकी आवाज,अक्सर इनपर पाबंदी कर दी जाती है।। तुम हो बेचारी अबला, तुम सब सहने ही आयी हो कह-कह के ऐसी बातें उन्हें, बुद्धीमंद भी कर दी जाती है।। इनको ढकेल के अज्ञानता के खाई में,भला क्या हांसिल किया जाए। ऐसे लाचार अबला बना कर,इनकी हर कमी की तुकबंदी भी की जाती है।। वह कभी हिम्मत करके बढ़ाती कदम,बस कुछ दूर ही जैसे। नसीहत रूढियों की देकर,घर-बार तक ही बस इनकी प्रतिद्वंद्वी कर दी जाती है।। फुदकती सी इनकी पंखो को कट कर, बनाया जाता इन्हें बेवश। कई बार तो अपनी हवस को मिटाने के लिए, इनसे कृत्य गंदी की जाती है।। ©Manavata Tripathi (Tejashvi) #mtt1507 #poetrygirl_mtt1507 #अबला #Galaxy #Like #share #comment #follow