इस तरह मुहब्बत में वो हमें द़गा दे गये। लगा द़ाग दामन में जाने कहां चले गये।। खाया कसमें आजीवन साथ निभाने को। बीच राहों में छोड़कर वो हमे चले गये।। अब रोता है दिल अपने आशिकाने पर। माना खुदा जिसे वो बेवफा निकल गये।। क्या भूल थी मेरी उन्हें खुदा मानता रहा। तड़पता राहों में छोड़कर मुझे चले गये।। ढूँढती आज भी है चमन की कातर आंखें । लगाकर द़ाग दामन में जो छोड़कर चले गये।। स्वरचित मौलिक रचना: #चमन_देहाती✍ #गज़ल ©Puranjay Kumar Gupta