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White झूठ ही से सपनों के बाज़ार चलते है, अरमाने भी

White झूठ ही से सपनों के बाज़ार चलते है,
अरमाने भी तो इन्हीं से पलते है,
इस जहां में ये मक़बूल बात नहीं फिर भी,
अक्सर तसव्वुर को सच ही खलते है।
– सुमीत ‘लिखनेवाला’

©Sumeet Kumar
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