तिनका तिनका हूँ मैं,हवाओं से डरता हूँ, रहता तो पत्थर के मकान में हूँ, पर खिड़कियों की दगेबाज़ी से डरता हूँ, बहुत सवाल है जहन में उसके, मैं खुद उलझी शख्सियत का मालिक हूँ, मैं निगाह बचा कर अपनी,उसकी निगाहों से डरता हूँ, अब वो नहीं रहा मैं जो पहले कभी हुआ करता था, तूफानों को चुनौती दिए फिरता हूँ, पर सच कहूँ तो फड़फड़ाते पत्तों की आवाजों से डरता हूँ ।। #yqbaba #yqdidi #shayari #philosophy #hindi #thoughts #scaredsoul #yqquotes