मै यहीं हूं रूह बनके, ये जिस्म मरेगा एक दिन। चमड़े की तिजारत में, नीलाम करेगा एक दिन ।। इस जिस्म की कुछ, तासीर ही निकम्मी है। अनजान बनकर फिर, वत्स को पढ़ेगा एक दिन ।। #चमड़ा #वत्स #vatsa #illiteratepoet #hindishayari #dsvatsa #yqhindi #hindishayari