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ना मेरी कोई मंज़िल है, ना कोई किनारा, तन्हाई मेरी

ना मेरी कोई मंज़िल है, ना कोई किनारा,
तन्हाई मेरी मेहफिल और यादे मेरा सहारा,
तुमसे बिछड़ के, कुछ यू वक़्त गुज़ारा,
कभी ज़िंदगी को तरसे, कभी मौत को पुकारा | kabhi maut ko tarse..!
ना मेरी कोई मंज़िल है, ना कोई किनारा,
तन्हाई मेरी मेहफिल और यादे मेरा सहारा,
तुमसे बिछड़ के, कुछ यू वक़्त गुज़ारा,
कभी ज़िंदगी को तरसे, कभी मौत को पुकारा | kabhi maut ko tarse..!
rajverma6547

Raj verma

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