ज़ख्म नए हैं, इन्हें सहलाया मत करो सुलझे हुए हैं, हमें उलझाया मत करो ये आईने पूछते हैं मुस्कुराने की वज़ह हमें रोज़ हमसे यूँ मिलवाया मत करो हमनें तुम से वज़ह नहीं पूछी,इस लिए हमसे वज़ह पूछ वक़्त ज़ाया मत करो और कितने रस्ते बदल के निकलें हम हमसे आते जाते यूँ टकराया मत करो अब और बहाने कहाँ से लाएँ तेरे लिए हम से दरख़्वास्त लिखवाया मत करो @ अनुरोध ©Anurodh Srivastava #ink