हर आरज़ू मुकम्मल हो मेरी यह चाहत नहीं तेरा मेरा साथ हो ऐसा जैसे जल और मीन तुम मिले मिली उखड़ती सांसो को ज़िन्दगी ज़िन्दगी तुम संग यही आख़िरी आरज़ू मेरी // आरज़ू // ख़ुदा करे मुक़म्मल हो मेरी ये एक आरज़ू, तेरा मेरा साथ रहे जैसे फ़ूल और ख़ुशबू। तू जो मिला हमको मिल गई ऐन-ए-ख़ुशी, नहीं नहीं हमें अब किसी और की जुस्तुजू। © Sasmita Nayak