#गजल #कसम जबसे भारत ने उठायी है कसम! छिपके बैठा बैरी भी गया है सहम!१! टिमटिमा रहा था दूर जो पहले, मिटकर के हो गया है वो अदम!२! था गुरुर उसे बारूद के गोलों पर, मेरे भालों ने मिटा दिया है वहम!३! करता है फिजूल की बातें अकसर, बिगड़ गया हो जैसे उसका फ़हम!४! डरते रहो तुम सुनकर मेरे पदचाप, मंजिल पर ही थमेंगे बढ़ते कदम!५! देखी है तुमने नरमी जज्बातों की, जल रहे हो क्यूँ जब हुए हैं गरम!6! तुम भी रंग जाओगे जल्द तिरंगे से, झूमते लिख रहा गिरीश का कलम!७! #गिरीश 20.09.2019 अदम= शून्य, अस्तित्वहीन फ़हम= समझ गजल