हम तेरी चाह में, ऐ यार! वहाँ तक पहुँचे, होश ये भी न जहाँ है कि कहाँ तक पहुँचे। इतना मालूम है, ख़ामोश है सारी महफ़िल, पर न मालूम, ये ख़ामोशी कहाँ तक पहुँचे॥ हम तेरी चाह में, ऐ यार! वहाँ तक पहुँचे, होश ये भी न जहाँ है कि कहाँ तक पहुँचे। इतना मालूम है, ख़ामोश है सारी महफ़िल, पर न मालूम, ये ख़ामोशी कहाँ तक पहुँचे॥