हे कर्म की शिक्षा देनेवाले मोहन कर्ण को भी बतलाता जा ... हे कर्म की शिक्षा देनेवाले मोहन, कर्ण को भी बतलाता जा वात्सल्य मिला ना अधिकार मिला, इस न्याय को भी समझता जा।। एक दिवस का था वो तब, जब माता ने उसे त्याग दिया विलग कर उसको खुद से, जल मे प्रवाह किया।। क्या गलती थी उसकी, ये भी तो समझाता जा हे कर्म की शिक्षा देनेवाले मोहन, कर्ण को भी बतलाता जा सूर्यपुत्र होकर भी, सुतपुत्र कहलाता था कुन्तीपुत्र वो, राध्ये पुकारा जाता था