तुझे खोने का डर लगा रहता है,तु मिले भी ना मुझे और मैं टूट के बिखर भी ना जाऊं, मुझमें इतनी सब्र कहां। चाहत में इम्तेहान कहां,............. तुम मेरे नहीं हो अब भी,पर किसी और की अमानत भी नहीं, इस बात की तसल्ली रहती है, पर तुझे किसी और का होता देखें, मेरी नज़रों में इतनी नज़ाकत कहां। चाहत में इम्तेहान कहां .................. सफर में हमसफ़र अगर तुम हो तो चल लू पथरीली रास्तों पर भी हंसकर, और अगर तुम न हो साथ मेरे,ये ख्याल भी आए मेरे मन में, मेरे इमान में इतनी बेईमानी कहां। चाहत में इम्तेहान कहां......................... ©Pinki Singh #Chaahat #saath #Khyal #emtehan #pyaar