#OpenPoetry उसे छोड़कर जाने की जिद में अब तक उसे छोड़ नहीं पाया दूरियां शहर की ही बढ़ी हैं बस उसे दिल से दूर कर नहीं पाया लम्हा-लम्हा भुलाने में गुजरा इसलिये उसे भुला नहीं पाया आदत बन चुकी हैं वो मेरी आदत से पीछा छुड़ा नहीं पाया ख्वाबों में आती हैं वो रोज ख्वाबों से उसे भगा नहीं पाया लम्हा-लम्हा तन्हाई में बीता फिर भी उसे बुला नहीं पाया © आंजनेय अंजुल #बुला_नहीं_पाया #आंजनेय_अंजुल #OpenPoetry #OpenPoetryChallenge #NojotoNews #NojotoHindi Vivek...