।।श्री हरिः।।
35 - क्या करेगा?
'कनूँ ! तू खो जाय तो क्या करेगा?' तोक दौड़ा-दौडा आया और कन्हाई का दक्षिण कर पकड़कर पूछ बैठा।
आपको यह प्रश्न बहुत अटपटा-असंगत लग सकता है। यह तो ऐसा ही प्रश्न है जैसे कोई पूछे कि 'सूर्य आकाश में खो जाय तो क्या करे?' भला यह व्रजराजकुमार वृन्दावन में खो कैसे सकता है? लेकिन तोक तो गोपकुमारों में सबसे छोटा है। उसके लिए कोई प्रश्न अटपटा नहीं है।
कृष्ण के समान ही इन्दीवर सुन्दर, वैसी ही घुंघराली अलकों में मयूर-पिच्छ लगाये, पीताम्बर की कछनी-उत्तरीयधारी वनमाली तोक केवल, आयु तथा ऊचाईं में कृष्ण से छोटा है। शरीर से किञ्चित कृश। समान से देखने पर ही कण्ठ में कौस्तुभ, वक्षपर श्रीवत्स की स्वर्णिम रोमावली इसके नहीं है, यह पता लगता है। अन्यथा यह नन्दतनय की दूसरी मूर्ति है और इस समय वाम कर से कन्हाई का दाहिना कर पकड़े उसी के दाहिने आगे की और खड़ा उसी के मुख की और देख रहा है कि श्याम उसके प्रश्न का क्या उत्तर देता है।