चाहता हूं मेरी मय्यत पर,मौत पर मेरी, भीड़ खूब इकट्ठी हो,मज़मा लगा हो पूरा, और यूँ हो कि,मेरा जनाज़ा सरे बाजार गुज़रे, जो आएं ,देखे अंजाम हवस का क्या होता, इस मिट्टी के पुतले को देखे रूह कांप जाए, नफरत हो जाए उसे पक्की,फिर हवस नागवार गुज़रे, अरे खुदा कभी झूठ नही बोलता, उन्हें याद रहे पक्का, शैतान हवस का नही बख्शता,किसी के लिए रहम नही, अब उनकी मर्जी जाएं मस्ज़िद रोज़,या देखने जाएं मुजरे देखे वो हक़ीक़त जिस्म की,उजड़ी जिंदगी को, हुस्न के नशेड़ी को देख,होश ठिकाने आ जाएं, कब्र बना देना रास्ते में,उन्हें याद रहे सच,जितनी बार गुज़रें #yqbhaijan #yqdidi #मय्यत #जनाज़ा #हवस्खोर_इश्क़ #अंजाम #जिस्म_की_भूख