"कुण्डलिया-छन्द" राम-राम यहाँ जग रटै,जननी रटे न कोय । रटता जो इस जननि को,अधम भी सज्जन होय ।। अधम भी सज्जन होय,जो जननि शीश झुकावै । भोग इते सुख सबइ,फिर अन्त मोक्ष खौं पावै ।। कह शिवसागर सुनैं,इत कर एक नेक-काम । प्रथम रटौ जननी खौं,फिर पाछें सीता-राम ।। -शिवशंकर पाठक "शिवसागर " सागर, मध्यप्रदेश ©Shivshankar pathak #Sunrise#कुण्डलिया #छन्द