हूबहू इन पानी की बूँदो जैसी बिल्कुल सुबह की ओंस जैसी हैं.... अनगिनत कभी खत्म नहीं होती हैं.... होती हैं चमकती धूप में पूरी सूरज की किरणें जब उन्हें सोंख लेती हैं.... लेती हैं उनको अपनी आगोश में कोई सपना हक़ीक़त बन कर !! ख्वाहिशें तेरी- मेरी चाहतों की चादर में बिछी... और सिराहना हमारी बेपनाह...... फ़ुरसतों का !! फ़ुरसतों का !! फ़ुरसतों का !! चाहतों की आसमानों में...... !! हक़ीक़त बन कर... !! ख़्वाहिशें हमारी ________ हक़ीक़त हमारी ___ हवा बनके जो तू आये तुझे खुशबू बना दूंगा तू कोई हो जुबान जानम तुझे उर्दू बना दूंगा... 🎤🎤🎤🎤🎤