मेरी परछाई मुझे सिमटा सा लगे है कभी फैला सा लगे है साया मेरे कद का मुझे धोका सा लगे है मौसम भी है बरसात का गर्मी भी उमस भी मौसम मेरे महबूब सा रूठा सा लगे है sarfraz "faraz" #MeriParchai