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आग बरसे चारों तरफ इस जमाने के लिए, मेरी आंखों की न

आग बरसे चारों तरफ इस जमाने के लिए,
मेरी आंखों की नमी में हो पनाह किसी को छिपाने के लिए।
वो है खुदगर्ज बड़ी मैं जानता हूं,
लौट आएगी फिर से खुद को बचाने के लिए।

©RAJ की कलम से
  आग बरसे चारों तरफ इस जमाने के लिए
#rajkikalamse #followme #nojato oto

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