मेरी बगिया में भी इक रोज़ इक गुलाब खिला था.. मुझे इस बेवफा दुनिया में कोई साथी मिला था... मगर खुदा को भी मेरी खुशी मंजूर ना थी... अरे मेरी वफा का ये कैसा सिला था.... meri bagiya