सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता || खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता|| फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो,, फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।||