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मैंने तेरे लिए, जो फूलों का तोहफा लाया था, सारे

मैंने तेरे  लिए, जो फूलों का  तोहफा  लाया था,
सारे  फूलों को  अपने  जज्बातों से सजाया था।
तेरे स्वर्ण महफ़िल में मेरे फूलों की क्या बिसात,
कद्र ना की  तुमने, मेरे तोहफ़े को  ठुकराया था।
तोहफ़ा नहीं, वो मेरी  विवशता की  निशानी थी,
प्रेम पथ  पर  कुर्बान, मेरे  दिल की  कहानी थी। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-84 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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सारे  फूलों को  अपने  जज्बातों से सजाया था।
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कद्र ना की  तुमने, मेरे तोहफ़े को  ठुकराया था।
तोहफ़ा नहीं, वो मेरी  विवशता की  निशानी थी,
प्रेम पथ  पर  कुर्बान, मेरे  दिल की  कहानी थी। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

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