चला हूँ ले के गुलाल हो के मदमस्त इन गीतों की धुन में रंग दूँ तेरे कोमल कपोल कल्पित मेरे दिल दारुन में इस फागुन में होली की टोली में छुप के स्वप्न रंगीले तेरे बुन के आता हूँ मै द्वार तुम्हारे बनके अफलातून मैं इस फागुन में संग भीगे पिचकारी की रुंजुन में गुंजियों और मीठा हो इस फागुन में इस फागुन में... #फागुन #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #paidstory #ravikirtikikalamse #ravikirti_poetry