देख तो दिल कि जाँ से उठता है ये धुआं सा कहाँ से उठता है बैठने कौन दे है फिर उस को जो तेरे आस्तान से उठता है यूं उठे आह उस गली से हम जैसे कोई जहाँ से उठता है इश्क इक 'मीर' भारी पत्थर है बोझ कब नातावां से उठता है mir taqi mir मीर तक़ी मीर की शायरी #urdu #Hindi #jaunelia #Love #ishq #SAD #alone #Dil #Dard #Poetry