चाहत भी अब हैरान सी हो गई है फरेब तले मोहब्बत वीरान सी हो गई है वास्ता देकर इश्क़ का मनमानी करते हैं नियत से इंसानियत परेशान सी हो गई है क्या कहने इस पाक मोहब्बत के तुम्हारी आज ये भी नेताओं के ईमान सी हो गई है शाख से पत्ता जुदा कर दावा इबादत का करते हो मोहतरमा फितरत तुम्हारी बेईमान सी हो गई है हिज्र और वस्ल की बात तो तुम न ही करो जिस्म की भूख से मेरी जो पहचान सी हो गई है ये कुफ्र जो इश्क़ नाम से तुम कर जाते हो इश्क़ से ही रूह "अंश"अनजान सी हो गई है #must_read बदलते वक्त के साथ इश्क़ के मायने भी बदलते जा रहे हैं कंही हवस कहीं लालच तो कभी खुदगर्ज़ी के लिबास में इश्क़ नज़र आता है और मज़े की बात यह है कि दुहाई देने वालों में सबसे ऊपर वही लोग हैं जिन्हें इसका इल्म भी नहीं है क्या बस बातों में रूहानियत नज़र आने से इश्क़ मुकम्मल हो जाता है नहीं रूह से रूह का रिश्ता महज़ बातों का तो नहीं हो सकता ये तो अंदर की बात है और ज़ाहिर है गर अंदर नहीं है बाहर भी दिखाना नामुमकिन है शायद इसीलिए कहा जाता है इश्क़ किया नहीं जाता हो जाता है पर जो जबरदस्ती जताया जाए ऐसा इ