अगर उसूलों पर आच आये तो जबाब देने लगी है नारी समय के अनुसार अब खुद को बदलने लगी है नारी परिश्रम की मूरत और अपने हिम्मत की मिशाल देती हैं नारी कभी ऑफिस तो कभी घर का काम संभालती है नारी और अब पहले समय की तरह नही रह गयी है नारी अब अपने हकों के लिए आवाज उठाने लगी है नारी की हर जगह हर रास्तों पर झेलना पड़ा उन्हें अनेको पीड़ा अब उन पीड़ा को मात देकर आगे निकलने लगी है नारी हर दर्द-ओ-ग़म छुपा कर अपने जहन में रखती है नारी और अपने दम और हौसलों से आगे बढ़ने लगी है नारी और ये हमारा समाज लगाता रहा उनपर हजारों बंदिशे अब उन बंदिशों को तोड़ हर क्षेत्र मे पहचान बनाने लगी है नारी ~ राकेश सोनकर ©Rakesh Sonker #womansDay #HappyWomansDay #rakeshpoetry #rakeshsonker #Life