रंजिशें, तल्खियां, गिला लेकर मत चलो इतना फ़ासला लेकर अपने जैसा न बनाओ हमको प्यार होता है दिल ज़ुदा लेकर ख़्वाब मरते हैं, लोग जीते हैं फिर कोई ख़्वाब दूसरा लेकर ध्रुव गुप्त Dhruv gupt #dhruvgupt