लगी आज फिर हाथ निराशा.. जीवन से टूटी हर आशा.. झर-झर अश्रु बह रहे मेरे.. है बस अब विजय अभिलाषा.. कितना धरूँ धैर्य अब मैं.. कितनी करूँ प्रतीक्षा अब मैं.. मेरे जीवन में सुख समृद्धि.. कब लाओगे भाग्यविधाता.. –✍️पीयूष बाजपेयी 'नमो' (काव्यपीयूष) #काव्यपीयूष #kaavyapeeyush #prb #नमो #peeyushwrites #shyari #poeticpeeyush