सर्द हवाओं में तेरी यादों का पहरा है। सताती है ये बहोत, जुदाई का आलम बड़ा गहरा है। 💕 आग बुझती नहीं सीने में लगाई तेरी उफ़ न जाने कैसा ये लम्हा है। 💕 जब भी चलती हैं ये सर्द हवाऐं इस रुख से गुज़र कर, दिल को आ जाती है फिर से याद तेरी उफ़ कितना ख़ूबसूरत सा ये चेहरा है। #सुचितापाण्डेय 🎀 Challenge-236 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 50 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।