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साथ क्या मिला गैर का उसको,जिसने पल भर में दिल में

साथ क्या मिला गैर का उसको,जिसने
पल भर में दिल में शिरकत करली

अपनों ने बहकाया उसको कि,
फिर गद्दारों जैसी फितरत करली

जिनकी हर गुफ्तगू में शुमार थे हम,
किसी और से उसने मशवरत करली

उसके जाने से टूटे कुछ इस तरह,
अपने लिए दुआ-ए-मग़्फ़िरत करली

पूछो गम बंजर जमी का उससे, 
नई सरजमीं मिलते ही तुमने हिजरत करली

- गौरव अग्रवाल

©gourav agrawal added some urdu words
साथ क्या मिला गैर का उसको,जिसने
पल भर में दिल में शिरकत करली

अपनों ने बहकाया उसको कि,
फिर गद्दारों जैसी फितरत करली

जिनकी हर गुफ्तगू में शुमार थे हम,
किसी और से उसने मशवरत करली

उसके जाने से टूटे कुछ इस तरह,
अपने लिए दुआ-ए-मग़्फ़िरत करली

पूछो गम बंजर जमी का उससे, 
नई सरजमीं मिलते ही तुमने हिजरत करली

- गौरव अग्रवाल

©gourav agrawal added some urdu words