*📝“सुविचार"*📚 ✍🏻 *“28/8/2021”*🖋️ 📘 *“शनिवार”*✨ आज मैं बात कर रहा हूं एक “विशेष गुण” की, अधिकतर मनुष्य “मलिनता”,“व्यर्थ की वस्तुएं”,“अपद्रव्य”,“सागर” में बहा देते है, किंतु सागर इन सब चीजों को अपने भीतर एकत्रित करके नहीं रखता, इसे भीतर से बाहर निकाल फेंकता है,ये अत्यंत “श्रेष्ठ गुण” है किन्तु इस “कार्य को साकार” करने के लिए भी सागर को एक “तट(किनारे)” की आवश्यकता होती है,जहां “सागर” इन सभी “वस्तुओं” को निकाल फेंकता है, अब मनुष्य “भिन्न” नहीं है “मनुष्य” को तो एक “तट” की आवश्यकता होती है ये “तट” हो सकते है हमारे “गुरु” हो,“माता-पिता”,“भाई” ,“मित्र” हो सकते है या फिर वो “समस्याएं” हो सकती है जिनसे हम “दूर” भागते है,क्योंकि जब आप इन “समस्याओं” से मिलोगे इनका “सामना” करोगे,अन्त में आपको “सीख” ही मिलेगी, सबसे अधिक आवश्यक है इस “मन” को “पवित्र” करना और इसका एक ही “उपाय” है इस “मन का मंथन”,इस “मन का मंथन” करोगे तो “पूर्ण रूप” से ये मन “प्रसन्न” अवश्य रहेगा, _*अतुल शर्मा🖋️📝*_ ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📚 ✍🏻 *“28/8/2021”*🖋️ 📘 *“शनिवार”*✨ #“मलिनता” #“व्यर्थ की वस्तुएं”