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कितनी बातें हैं तुमको बतानी मुझे, कब है फुर्सत तुम

कितनी बातें हैं तुमको बतानी मुझे,
कब है फुर्सत तुम्हें ये बता दो मुझे
रोज़ बुनती हूं यादों के धागों से मैं,
फिर वो चेहरा तुम्ही से मिलाती हूं मैं
मुलाकातों के अफसाने हो न सही,
अपनी यादों का हिस्सा बना लो मुझे..
© शालिनी उपाध्याय #diaries
कितनी बातें हैं तुमको बतानी मुझे,
कब है फुर्सत तुम्हें ये बता दो मुझे
रोज़ बुनती हूं यादों के धागों से मैं,
फिर वो चेहरा तुम्ही से मिलाती हूं मैं
मुलाकातों के अफसाने हो न सही,
अपनी यादों का हिस्सा बना लो मुझे..
© शालिनी उपाध्याय #diaries