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मेरी तन्हाई सिर्फ़ तुमको ही माना अपना, इस स्वार

 मेरी तन्हाई 

सिर्फ़ तुमको ही माना अपना,
इस स्वार्थी ज़माने में,
बस तु ही दिखती है यहाँ,
हर भीड़, हर वीराने में.
इतना न तड़पा कभी,
जितना यादों ने तड़पाया,
सच्चा है प्यार हमारा
अब होता विश्वास है!
तेरे रूठ जाने के बाद;
मेरी तन्हाई ही खास है!!
Read full poem in caption...  मेरी तन्हाई 

सिर्फ़ तुमको ही माना अपना,
इस स्वार्थी ज़माने में,
बस तु ही दिखती है यहाँ,
हर भीड़, हर वीराने में.
इतना न तड़पा कभी,
जितना यादों ने तड़पाया,
 मेरी तन्हाई 

सिर्फ़ तुमको ही माना अपना,
इस स्वार्थी ज़माने में,
बस तु ही दिखती है यहाँ,
हर भीड़, हर वीराने में.
इतना न तड़पा कभी,
जितना यादों ने तड़पाया,
सच्चा है प्यार हमारा
अब होता विश्वास है!
तेरे रूठ जाने के बाद;
मेरी तन्हाई ही खास है!!
Read full poem in caption...  मेरी तन्हाई 

सिर्फ़ तुमको ही माना अपना,
इस स्वार्थी ज़माने में,
बस तु ही दिखती है यहाँ,
हर भीड़, हर वीराने में.
इतना न तड़पा कभी,
जितना यादों ने तड़पाया,