बिखरी हैं यादें हर तरफ अब ना दिखते है वो लोग घर ऐसे उजड़ा था जैसे खंडहर ऐसा लगा क्या रोग अब बिखरे बिखरे है नजारे किस किस को सुनाए जोग अब होगें वो मसरूफ़ कही ध्यान किसका लगायें लोग हमारे हिस्से तन्हा-तन्हा रात रातों को उठ उठ कर रोये लोग ।। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1034 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।