वक़्त मैं खोएं खज़ाने ढूढ़ता हूँ मैं आज़ तुझें देख़ने क़े बहाने ढूढ़ता हूँ मैं-२ यूँ तो हज़ार चेहरें है इस शहर में कुछ तेरे ही चेहरें जैसे लेक़िन तेरे चेहरें का वों नज़ारे ढूढता हूँ मैं वक़्त में खोएं ख़ज़ाने ढूंढता हूँ मैं आज़ तुझें देख़ने क़े बहाने ढूढता हूँ मैं।। इश्क किया था क़भी मीरा बनकर ज़ो तूने इश्क किया था क़भी कान्हा बनकर ज़ो मैंने ग़ुम उस इश्क क़े टूकड़े क़ो, अब अपने ख्वाबो ढूढता हूँ मैं वक़्त मैं खोएं ख़जाने ढूढता हूँ मैं आज़ तुझें देख़ने क़े बहाने ढूढता हूँ मैं।। क़िसी बाग़ में नहीं है, ज़ो खुशबू था तेरे तन का क़िसी जाम में नहीं है, ज़ो नशा था तेरे लब का दरबदर तेरे होंठो का वो प्यास ढूढता हूँ मैं वक्त में खोएं ख़जाने ढूंढता हूँ मैं आज़ तुझें देख़ने क़े बहाने ढूढता हूँ मैं।। मैं भी अब फुर्सत में नहीं औऱ तू भी व्यस्त हैं कहीँ इसलिए इन पन्नों पर , मुलाक़ात क़े कुछ बहाने ढूढता हूँ मैं वक़्त में खोएं ख़जाने ढूढता हूँ मैं आज तुझसे मिलने क़े बहाने ढूढता हूँ मैं ।।#✍मk #Nojoto #kavishala #मk