मन की आखों से देखों क्योंकि मन की आंखे सच तन की आंखो से दूर है, तन की आंखे नशे में चूर है। सत्य मन के नैनो के पास है, मनोनयन आत्मा के दास है। तन की आंखे छल करती है, मन की आंखे सच देखती है। बाहरी लोचन बाहर देखते है, मन के नयन अंतः झांकते है। तन की अंखियां सो जाती है, उर की आंखे सदा जागती है। उकेर रहे मन जीवन के चित्र, मन के नयन आत्मा के मित्र। मन की आंखे होती है पवित्र, सर्वदा देखती रहती है सर्वत्र। JP lodhi 25/05/2021 ©J P Lodhi. #AdhureVakya #poetryunplugged #nonotowriters #Nojotonews #Nojotofilms #nojototeam #NojotoFamily #Poetty