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फिर से बागबां,ताराज,महशर की तख्य्यूल कर, कुछ बुराइ

फिर से बागबां,ताराज,महशर की तख्य्यूल कर,
कुछ बुराइयां, रुसवाईयां आम-सी होंगी।
लर्जिश तेरे बातों में गर पैदा हो जाये,
टूट कर जिस्म जान फिर से जुड़ जाये।।

(बागबां-माली, ताराज-विनाश,महशर-प्रलय, 
तख्य्युल-कल्पना,लर्जिश- कम्पन)

-सबील अहमद #तन्हा_परिन्दा #shayari
फिर से बागबां,ताराज,महशर की तख्य्यूल कर,
कुछ बुराइयां, रुसवाईयां आम-सी होंगी।
लर्जिश तेरे बातों में गर पैदा हो जाये,
टूट कर जिस्म जान फिर से जुड़ जाये।।

(बागबां-माली, ताराज-विनाश,महशर-प्रलय, 
तख्य्युल-कल्पना,लर्जिश- कम्पन)

-सबील अहमद #तन्हा_परिन्दा #shayari
jashanshayari7419

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