कितनी नज़रों ने है ताका, अंदर तक मुझे घूरा है.! नारी देह को गिद्ध नज़र से सबने मुझको लुटा है.! नज़रों ही नज़रों में लगता, लूटा मेरी #इज़्जत है.! तार-तार कर दिया है इज़्जत, कहां-कहां नही घूरा है.! नज़रों से बिध गया शरीर है नही जान अब इसमें है, अपने देह से घृणा हो रही, जैसे मैं खिलौना हूँ.! #अजय57 #नारी_व्यथा