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हमने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से। सूरज के उजाल

हमने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से।

सूरज के उजाले से, फ़ज़ाओं से खला से।
चाँद और सितारों की चमक, और ज़िया से।
जंगल की खमोशी से, पहाड़ों की अना से।

पुरहौल समुन्दर से, पुरअसरार घटा से।
बिजली के चमकने से, कड़कने की सदा से।

मिटटी के ख़ज़ानों से, अनाजों से ग़िज़ा से।
बरसात से, पानी से, तूफ़ान से, हवा से।

हम ने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से।

गुलशन की बहारों से, तो कलियों की हया से।
मासूम सी रोती हुई शबनम की अदा से।

लहराती हुई बाद-ए-,सहेर बाद-ए-सबा से।
हर रंग के, हर शान के, फूलों की खबा से।

चिड़ियों के चहेकने से, तो बुलबुल की नवा से।
मोती की नज़ाकत से तो, हीरे की जीरा से।

हम ने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से।

दुनियाँ के हवादिस से, जफ़ाओं से  वफ़ा से।
रंज-ओ-गम आलम से, दर्दो से, दवा से।

खुशियों से, तबस्सुम से, मरीज़ों की शिफा से।
बच्चो की शरारत से, तो माँओं की दुआ से।

नेकी से, इबादात से, लग्ज़िश से खता से।
खुद अपने ही सीने के धड़कने की सदा से।

हमने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से।

इब्लीस के फ़ितने से, तो आदम की खता से।
औसाफ़-ए-बराहिम से, तो युसूफ की हया से।

और हज़रत-ए-अय्यूब की तस्लीम-ओ-रज़ा से।
ईसा की मसीहाई से, मूसा के आसा से।

नमरूद के, फिरौन के, अंजाम-ए-फ़ना से।
काबे के तखद्दुस से, तो मरवा-ओ सफा से।

तौरात से, इंजील से, क़ुरआँ की सदा से।
यासीन से, ताहा से, मुज़म्मिल से, नबा से।
एक नूर जो निकला था कभी गार-ए-हिरा से।

हमने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से........!!

@अल्लामा इक़बाल
हमने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से।

सूरज के उजाले से, फ़ज़ाओं से खला से।
चाँद और सितारों की चमक, और ज़िया से।
जंगल की खमोशी से, पहाड़ों की अना से।

पुरहौल समुन्दर से, पुरअसरार घटा से।
बिजली के चमकने से, कड़कने की सदा से।

मिटटी के ख़ज़ानों से, अनाजों से ग़िज़ा से।
बरसात से, पानी से, तूफ़ान से, हवा से।

हम ने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से।

गुलशन की बहारों से, तो कलियों की हया से।
मासूम सी रोती हुई शबनम की अदा से।

लहराती हुई बाद-ए-,सहेर बाद-ए-सबा से।
हर रंग के, हर शान के, फूलों की खबा से।

चिड़ियों के चहेकने से, तो बुलबुल की नवा से।
मोती की नज़ाकत से तो, हीरे की जीरा से।

हम ने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से।

दुनियाँ के हवादिस से, जफ़ाओं से  वफ़ा से।
रंज-ओ-गम आलम से, दर्दो से, दवा से।

खुशियों से, तबस्सुम से, मरीज़ों की शिफा से।
बच्चो की शरारत से, तो माँओं की दुआ से।

नेकी से, इबादात से, लग्ज़िश से खता से।
खुद अपने ही सीने के धड़कने की सदा से।

हमने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से।

इब्लीस के फ़ितने से, तो आदम की खता से।
औसाफ़-ए-बराहिम से, तो युसूफ की हया से।

और हज़रत-ए-अय्यूब की तस्लीम-ओ-रज़ा से।
ईसा की मसीहाई से, मूसा के आसा से।

नमरूद के, फिरौन के, अंजाम-ए-फ़ना से।
काबे के तखद्दुस से, तो मरवा-ओ सफा से।

तौरात से, इंजील से, क़ुरआँ की सदा से।
यासीन से, ताहा से, मुज़म्मिल से, नबा से।
एक नूर जो निकला था कभी गार-ए-हिरा से।

हमने तुझे जाना है फ़क़त तेरी अता से........!!

@अल्लामा इक़बाल
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Sami

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