दिल के कोने से निकली, कोई आवाज हो तुम। मेरी ज़िंदगी का सुकूँ, इक हँसी राज़ हो तुम। मैं चाहता हूँ जिसको, अपने लबों पे सजाना। वो मनमोहक तराना, वो सुरमई साज़ हो तुम। मैं जिसे अपने अतीत में, ढूँढ़ता रहा हर पल। मेरी मयस्सर चाहत, वफ़ा, मेरा आज हो तुम। मैं जबसे तुमसे मिला हूँ, तुम्हारा हो गया हूँ। दिल जीत लिया है तुमने, मेरी नाज़ हो तुम। मैं तुम्हें हमेशा, अपने दिल के पास रखता हूँ। फिर जाने किस बात पे, मुझसे नाराज़ हो तुम। मैं जिसपे फ़िदा हूँ, पहली मुलाकात से ही। वो दिलनशीं शायरी, शायराना अंदाज़ हो तुम। ♥️ Challenge-567 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।