Nojoto: Largest Storytelling Platform

सोचता नहीं अनभल किसी का कभी, फ़िर भी दुतकारा जाता

सोचता नहीं अनभल किसी का कभी,
फ़िर भी दुतकारा जाता हूं मैं..
अग्रज होकर चलने की चाह हरेक संग,
फ़िर भी नकारा जाता हूं मैं..
चाहता हूं मिलना हरेक से गले,
पर अक्सर फटकारा जाता हूं मैं..
ग़म को समेट अक्सर मुस्कुरा दिया करता हूं,
क्योंकि अपनों से ही सितम खाता हूं मैं..
©"हैपी जौनपुरी" #रिएलिटी
सोचता नहीं अनभल किसी का कभी,
फ़िर भी दुतकारा जाता हूं मैं..
अग्रज होकर चलने की चाह हरेक संग,
फ़िर भी नकारा जाता हूं मैं..
चाहता हूं मिलना हरेक से गले,
पर अक्सर फटकारा जाता हूं मैं..
ग़म को समेट अक्सर मुस्कुरा दिया करता हूं,
क्योंकि अपनों से ही सितम खाता हूं मैं..
©"हैपी जौनपुरी" #रिएलिटी