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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल रूसिय

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल रूसिया समस्या पर एक लेख लिखा जिससे रूसी और यूक्रेन लोगों की एकता की सदियों पुरानी इतिहास की याद आ गई थी यह लेख यूक्रेन को लेकर चल रहे हैं अमेरिका और रूस के टकराव के पृष्ठभूमि को समझने में मदद करता है यूक्रेन और यूरोप संघ और नाटो का सदस्य बन जाने की आशंका पुतिन के लिए सुरक्षा और ज्यादा उनकी आने का विषय बन चुका है वह पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया के पूर्व सोवियत देशों को रूसी प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखते हैं और उनके यूरोपीय संघ ने नाटो जैसे सूत्र संगठनों के पालन में जाना होने उन्हें बर्दाश्त नहीं इसलिए कार्य स्थान में विरोधी भड़कते ही उन्होंने सरकार की सुरक्षा में अपने टैंकर उतार दिए पुतिन जानते हैं कि इतिहास के पहिए को उल्टा नहीं घुमाया जा सकता इसलिए एक नया इतिहास बनाना चाहते हैं वह सुनिश्चित करते हैं जाना चाहते हैं कि पूर्वी शोविन देश में उनकी बात मानने वाली सरकार रहे रॉबिंसन के पुनीत के बाद अमेरिका ने क्षेत्र वर्सेस अब अपना गौरव नहीं है वह जानता है कि रूस के पास अमेरिका जैसी आर्थिक और सामरिक शक्ति नहीं है फिर भी वह ऐसे बहू द्रव्य विश्वकर्म की स्थापना करना चाहता है जिसमें अमेरिका दबदबे की बजाय एक से अधिक देशों का वर्चस्व पुतिन के साथ हैं

©Ek villain # महा शक्तियों का नया रण क्षेत्र

#BookLife
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल रूसिया समस्या पर एक लेख लिखा जिससे रूसी और यूक्रेन लोगों की एकता की सदियों पुरानी इतिहास की याद आ गई थी यह लेख यूक्रेन को लेकर चल रहे हैं अमेरिका और रूस के टकराव के पृष्ठभूमि को समझने में मदद करता है यूक्रेन और यूरोप संघ और नाटो का सदस्य बन जाने की आशंका पुतिन के लिए सुरक्षा और ज्यादा उनकी आने का विषय बन चुका है वह पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया के पूर्व सोवियत देशों को रूसी प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखते हैं और उनके यूरोपीय संघ ने नाटो जैसे सूत्र संगठनों के पालन में जाना होने उन्हें बर्दाश्त नहीं इसलिए कार्य स्थान में विरोधी भड़कते ही उन्होंने सरकार की सुरक्षा में अपने टैंकर उतार दिए पुतिन जानते हैं कि इतिहास के पहिए को उल्टा नहीं घुमाया जा सकता इसलिए एक नया इतिहास बनाना चाहते हैं वह सुनिश्चित करते हैं जाना चाहते हैं कि पूर्वी शोविन देश में उनकी बात मानने वाली सरकार रहे रॉबिंसन के पुनीत के बाद अमेरिका ने क्षेत्र वर्सेस अब अपना गौरव नहीं है वह जानता है कि रूस के पास अमेरिका जैसी आर्थिक और सामरिक शक्ति नहीं है फिर भी वह ऐसे बहू द्रव्य विश्वकर्म की स्थापना करना चाहता है जिसमें अमेरिका दबदबे की बजाय एक से अधिक देशों का वर्चस्व पुतिन के साथ हैं

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