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अफ़साना लिखू या कोई नज्म लिखू कुछ दूर चलूं फिर मका

अफ़साना लिखू या कोई नज्म लिखू
कुछ दूर चलूं फिर मकाम लिखू
वो जो रह गई इक ख़लिश दिल मैं..
उसी के नाम किसी शाम लिखू.

© प्रह्लाद परस्तिश
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