हर पल हर क्षण हर तरह से असुरक्षित हैं भारत की बेटियां निकलती हैं जब गली चौराहों से गलत निगाहों से घिरती हैं बेटियां खाने को रोटी-पानी ना हो तो लाखों रुपये में बेची जाती हैं बेटियां शादी में दहेज की मांग पूरी ना हो तो दहेज की आग में जलती हैं बेटियां रूह तो तब काँप जाती हैं रेप कर बेदर्दी से मारी जाती हैं बेटियां प्यार महोब्बत के नाम पर टुकड़ो में काटी जाती हैं बेटियां शारीरिक और मानसिक रूप से दर्द सहन करतीं हैं बेटियां कैसा भाग्य बनाया ईश्वर ने हर युग में सताई जा रहीं हैं बेटियां ©Khüśhßôô Jâiñ #बेटियां #असुरक्षितबेटियाँ #poetry #part1