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आकर्षण का कोई नियम नही होता बस बंध जाता हैं बंधन स

आकर्षण का कोई नियम नही होता
बस बंध जाता हैं बंधन
सब बंधनों को तोड़
विचित्र तो प्रेम होता हैं
बांध भी लेता हैं
और मुक्ति भी दे देता। यू ही
आकर्षण का कोई नियम नही होता
बस बंध जाता हैं बंधन
सब बंधनों को तोड़
विचित्र तो प्रेम होता हैं
बांध भी लेता हैं
और मुक्ति भी दे देता। यू ही