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        *???"मैं कौन"???* मैं कौन थी, कहां से आई

        *???"मैं कौन"???* 
मैं कौन थी, कहां से आई
कैसे जन्म हुआ,कौन  जग से आई।
मैं पिता की लाडली, मां की दुलारी
दादी-नानी की सहेली, परिवार की राजकुमारी।
मुहल्ले की पहेली, सखियों की सवारी
मैं कौन थी, कहां से आई---
            मैं कौन थी, कहां से आई---
           थी भाई की लड़ाई, या दोस्तों की पिटाई
चाचा की चांटे,या पड़ोसियों की शिकायते।
फिर भी,, मैं पिता की लाडली, मां की दुलारी।
*मैंने पुछा मैं से---* 
मैं कौन थी, कहां से आई---
मैं कौन थी, कहां से आई
कि एक दिन...
लाडली बड़ी हो गई
किसी की नजरों को भा गई
राजकुमार के नजरों में छा गई
खो गई सारी चतुराई
बड़ी हो गई,आपकी दुलारी
छा गये  नयनों में सुनहरे सपने-
भविष्य में लगे पंख फड़फड़ाने
सारगोशी कि कानों ने
मैं कौन थी, कहां से आई---
मैं कौन थी, कहां से आई---
पिता और मां खुश थे
मैं भी खुश थी, नया नया अहसास था
कि कोई और हमें देख रहा है,
कहीं दूर , नेपथ्य से, भविष्य में।
ये क्या???
पापा और मां के नयनों में
एक-एक कतरा था आंसु के--
लुढ़का तो लुढ़कते चला गया
तीनों लिपटकर रोए ,,,देर तक
मैंने फिर से, पुछा मैं से---
मैं कौन थी, कहां से आई---
मैं कौन थी, कहां से आई---
अंधेरे में आवाज़ गूंजी, गूंजी तक....
*मैं हूं बेटी,मैं हूं बेटी,मैं हूं बेटी,* मैं कौन
        *???"मैं कौन"???* 
मैं कौन थी, कहां से आई
कैसे जन्म हुआ,कौन  जग से आई।
मैं पिता की लाडली, मां की दुलारी
दादी-नानी की सहेली, परिवार की राजकुमारी।
मुहल्ले की पहेली, सखियों की सवारी
मैं कौन थी, कहां से आई---
            मैं कौन थी, कहां से आई---
           थी भाई की लड़ाई, या दोस्तों की पिटाई
चाचा की चांटे,या पड़ोसियों की शिकायते।
फिर भी,, मैं पिता की लाडली, मां की दुलारी।
*मैंने पुछा मैं से---* 
मैं कौन थी, कहां से आई---
मैं कौन थी, कहां से आई
कि एक दिन...
लाडली बड़ी हो गई
किसी की नजरों को भा गई
राजकुमार के नजरों में छा गई
खो गई सारी चतुराई
बड़ी हो गई,आपकी दुलारी
छा गये  नयनों में सुनहरे सपने-
भविष्य में लगे पंख फड़फड़ाने
सारगोशी कि कानों ने
मैं कौन थी, कहां से आई---
मैं कौन थी, कहां से आई---
पिता और मां खुश थे
मैं भी खुश थी, नया नया अहसास था
कि कोई और हमें देख रहा है,
कहीं दूर , नेपथ्य से, भविष्य में।
ये क्या???
पापा और मां के नयनों में
एक-एक कतरा था आंसु के--
लुढ़का तो लुढ़कते चला गया
तीनों लिपटकर रोए ,,,देर तक
मैंने फिर से, पुछा मैं से---
मैं कौन थी, कहां से आई---
मैं कौन थी, कहां से आई---
अंधेरे में आवाज़ गूंजी, गूंजी तक....
*मैं हूं बेटी,मैं हूं बेटी,मैं हूं बेटी,* मैं कौन