शबे-हिज़्र है, और तन्हाई है । बड़ी शिद्दत से, तिरी याद आई है। मिरा बिछड़ा यार , मिलादे, ए इश्क़, तिरी दुहाई है । शराफत मे, लुट गए हम, यह कैसी, ख़ुदाई है । रहबर ही, रहज़न हुए , क्या ख़ूब , रहनुमाई है । ग़िला-शिक़वा कैसा,"फिराक़", इसमे भी तो, रुसवाई है। OPEN FOR COLLAB✨ #ATgirlbg813 • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ 🏆For a special chance to get featured, CHECK out our pinned post.📍 Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts