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कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ, आओ

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

कोख में रख जो पाला है सबसे बड़ा उपकार किया,
इस जीवन को हमे दिया और जीवन भर हमे प्यार किया,
सारी दुनिया से बचाकर... उसने हमको पाला है,
सबकी "नजरों" से बचाकर यार बड़ा करती है माँ।

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

भूखी रहकर पेट सभी का भरने को वो रहती है,
पेट भरा है मेरा इस पल हम सब से वो कहती है,
त्याग-प्रेम का पाठ पढ़ाये...जीवन अर्पण कर डाला है,
प्यार पिरोकर परिवार में साथ हमे रखती है माँ।

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

जीवन मे जब भी दुखी हुआ,तो उनके पास में जाता हूँ,
पैर पकड़ कर रोता हूँ, और सारी बात बताता हूँ
हाथ फेर कर सर पर वो भी..भावुक सी हो जाती है,
फिर जीवन जीने का सलीका हमको सिखलाती है माँ।

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

अपनी इच्छा को दबाकर,सबका मत वो पूछती है,
गर विपति कोई आ जाये, सबसे आगे जूझती है,
अंत तलक वो हमरे खातिर.. अपनी चाह दबाये,
खुशी मिले जो कोई अगर हकदार बड़ी होती है माँ।

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

'शुभ' चाहे जो भी कर लो पर,माँ बिन कुछ न पूरा है,
पा लोगे रुपया पैसा पर,माँ बिन सब अधूरा है,
एक तरफ है दुनिया सारी... तुम्हरे आगे कौन
सबसे अधिक जो मूल्यवान संसार मेरा तुम्हीं हो माँ

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ। कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

कोख में रख जो पाला है सबसे बड़ा उपकार किया,
इस जीवन को हमे दिया और जीवन भर हमे प्यार किया,
सारी दुनिया से बचाकर... उसने हमको पाला है,
सबकी "नजरों" से बचाकर यार बड़ा करती है माँ।
कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

कोख में रख जो पाला है सबसे बड़ा उपकार किया,
इस जीवन को हमे दिया और जीवन भर हमे प्यार किया,
सारी दुनिया से बचाकर... उसने हमको पाला है,
सबकी "नजरों" से बचाकर यार बड़ा करती है माँ।

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

भूखी रहकर पेट सभी का भरने को वो रहती है,
पेट भरा है मेरा इस पल हम सब से वो कहती है,
त्याग-प्रेम का पाठ पढ़ाये...जीवन अर्पण कर डाला है,
प्यार पिरोकर परिवार में साथ हमे रखती है माँ।

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

जीवन मे जब भी दुखी हुआ,तो उनके पास में जाता हूँ,
पैर पकड़ कर रोता हूँ, और सारी बात बताता हूँ
हाथ फेर कर सर पर वो भी..भावुक सी हो जाती है,
फिर जीवन जीने का सलीका हमको सिखलाती है माँ।

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

अपनी इच्छा को दबाकर,सबका मत वो पूछती है,
गर विपति कोई आ जाये, सबसे आगे जूझती है,
अंत तलक वो हमरे खातिर.. अपनी चाह दबाये,
खुशी मिले जो कोई अगर हकदार बड़ी होती है माँ।

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

'शुभ' चाहे जो भी कर लो पर,माँ बिन कुछ न पूरा है,
पा लोगे रुपया पैसा पर,माँ बिन सब अधूरा है,
एक तरफ है दुनिया सारी... तुम्हरे आगे कौन
सबसे अधिक जो मूल्यवान संसार मेरा तुम्हीं हो माँ

कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ। कड़ी धूप में छाँव स्नेह की यार बड़ी होती हैं माँ,
आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ,यार कैसी होती है माँ।

कोख में रख जो पाला है सबसे बड़ा उपकार किया,
इस जीवन को हमे दिया और जीवन भर हमे प्यार किया,
सारी दुनिया से बचाकर... उसने हमको पाला है,
सबकी "नजरों" से बचाकर यार बड़ा करती है माँ।