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गिरने में भी तेरी हार नहीं, तू आदमी है अवतार नहीं

गिरने  में भी तेरी हार नहीं, तू आदमी है अवतार नहीं।
जो डर के जीवन जीता , होती उसकी जयकार नहीं।
गिरना भी है,उठना भी है, गिरते उठते चलना भी है।
है जंग तुम्हारा ये जीवन ,ये जंग तुम्हें ही लड़ना है।
जो  जीवन रण से भाग गया, मिलता फूलों का हार नहीं।
गिरने में भी तेरी हार नहीं....... ।
कुछ करना है कुछ पाना है,संघर्ष  तुम्हें करना होगा।
जीवन है तो उलझन आएगी, सुलझाना उसको होगा 
जो चमक उठे ना रण में भी,कहते उसको तलवार नहीं।
गिरने में भी तेरी हार नहीं....... ।
गिरने से सीख बहुत मिलती,जो सीख गए वो पार हुए।
फिर भी जो संभल नहीं पाए,समझो वो मजधार गए।
ना संभले जो ना सीख ही ले,उसका बेड़ा तो पार नहीं।
गिरने में भी तेरी हार नहीं.......।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  #गिरने में भी तेरी हार नहीं।