ये दोस्ती...कुछ अच्छी, कुछ बहुत अच्छी...... तो दोस्त तो बचपन से बनते गए, खुद की जीवन में वो एक अपनो की तरह ढलते गए, रोज़ उनसे न मिलो तो अधूरा सा लगता था, फिर भी दिन कैसी भी हो उनसे मिलना तो रोज़ होता था। स्कूल से शुरू कॉलेज में भी साथ, हो कभी भी अकेला तो उनसे कर लो बात, स्कूल में ये दोस्ती बहुत रंग लाती थी, कोई भी हमें देखे..उसे कुछ समझ नही आती थी। बचपन में वो साथ खेलना, साथ पढ़ना-लिखना, आज उसके अलावा भी हमें बहुत कुछ मिलना। तो ऐसे ही हम एक दूसरे को समझते चले गए, पास तो नही पर दूर से ही हम एक होते चले गए, और हमारी दोस्ती आज भी वैसी ही है, जैसी किसी और कि नही होती है। और.....इस दोस्ती के लिए शब्द ही कम पड़ रहे हैं, इसीलिए इसे शब्दों में बयां नही किया जा सकता। #happyfriendshipday #prashant_kumar #pk_poetry